एक ब्लड टेस्ट और गोली से रोकी जा सकती है हेपेटाइटिस से मौत, जागरुकता जरूरी
विशेषज्ञ बोले- लिवर की बीमारी और लिवर कैंसर का आसानी से लगाया जा सकता है पता, समय रहते इलाज शुरू न होने से स्थिति गंभीर।
हमारे देश में लिवर की बीमारी और लिवर कैंसर मृत्यु और विकलांगता का एक सामान्य कारण है। लीवर सिरोसिस के सभी रोगियों में से लगभग एक तिहाई और आधे से अधिक लीवर कैंसर हेपेटाइटिस बी और सी से संबंधित हैं। वर्तमान युग में दोनों रोगों का आसानी से पता लगाया जा सकता है और उनका इलाज किया जा सकता है लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो पा रहा है।
यह बात पीजीआई हेपेटोलजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर विजेंद्र सिंह कहीं। उन्होंने बताया कि यह चिंता का विषय है कि एक साधारण रक्त परीक्षण और एक गोली लेने से हजारों मौतों को रोका जा सकता था लेकिन जागरुकता के अभाव के कारण ये संभव नहीं हो पा रहा।
उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस लीवर की सूजन है और यह कई वायरस (वायरल हेपेटाइटिस) के कारण होता है। हेपेटाइटिस के सामान्य कारणों में वायरस, शराब, प्रतिरक्षा रोग और कुछ दवाओं का उपयोग शामिल हैं। वायरस हेपेटाइटिस का सबसे आम कारण बना हुआ है जिसे वायरल हेपेटाइटिस कहा जाता है। यह रोग हेपेटाइटिस वायरस ए, बी, सी, ई या डेल्टा के साथ-साथ एपस्टीन-बार वायरस (ईबी) जैसे कुछ दुर्लभ वायरस के कारण होता है।
ये लक्षण हैं खतरनाक
पीजीआई के डॉ. सहज राठी ने बताया कि मरीजों में भूख न लगना, मतली, उल्टी, बुखार, सिरदर्द, सुस्ती, गहरे रंग का पेशाब, पीलिया, पेट में दर्द और पैरों में सूजन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस ए और ई दूषित पानी और भोजन से फैलता है और इससे लीवर खराब हो सकता है। ए और ई दोनों वायरस गंभीर बीमारी का कारण बनते हैं जो पीलिया और बुखार के रूप में सामने आता है जो आमतौर पर कुछ दिनों तक रहता है। हालांकि यह कुछ मामलों में घातक भी हो सकता है।
वयस्क भी लगा सकते हैं हेपेटाइटिस का टीका
गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. राकेश कोछड़ ने बताया कि हेपेटाइटिस ए और ई से खुद को बचाने के लिए स्वच्छ पेयजल का सेवन करें और बाजारों में बिक रहे कटे फल व सब्जियां खाने से बचें। छह महीने के अंतराल में दी जाने वाली टीके की दो खुराक हेपेटाइटिस ए के कारण होने वाले संक्रमण को रोकने में मदद करती है। यह टीका 18 साल तक के बच्चों को दिया जाता है। वयस्क जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है, उन्हें भी टीका लगाया जा सकता है।
ये स्थिति हो सकती है गंभीर
डॉ. कोछड़ ने बताया कि हेपेटाइटिस बी भी हेपेटाइटिस ए या बी वायरस के कारण होने वाले पीलिया से गंभीर हेपेटाइटिस का कारण बन सकता है। ये दो वायरस दूषित रक्त या शरीर के तरल पदार्थ के माध्यम से फैलते हैं न कि दूषित भोजन के माध्यम से। हेपेटाइटिस बी को टीके से रोका जा सकता है और हेपेटाइटिस सी के लिए कोई टीका नहीं है। दुनियाभर में हेपेटोसेलुलर कैंसर के लाखों मामलों को रोकने के लिए हेपेटाइटिस बी टीकाकरण का उपयोग किया जा रहा है। हेपेटाइटिस बी के टीके की दूसरी और तीसरी खुराक के साथ एक और पहली खुराक के छह महीने बाद दी जाने वाली तीन खुराकें 20 से अधिक वर्षों तक 90 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करती हैं।
इन्हें ज्यादा खतरा
अंग प्रत्यारोपण वाले मरीज, डायलिसिस वाले मरीज, कैदी, चिकित्सा पेशेवर और यौनकर्मी, टैटू बनवाने वाले, सड़क किनारे नाइयों के पास जाने वाले, सीरिंज और सुई साझा करने वाले के अलावा संक्रमित व्यक्ति के निजी सामान जैसे रेजर, टूथ ब्रश आदि का उपयोग करने वाले लोगों में इसका खतरा ज्यादा रहता है।